रात में दरख्तों से फल या फूल तोड़ना कैसा

कुछ लोग कहते हैं कि फलां दरख़्त पर शहीद मर्द रहते हैं या फलां ताक में शहीद मर्द रहते हैं और उस दरख़्त और उस ताक के पास जाकर फातिहा दिलाते हैं हार फूल खुशबू वगैरा डालते हैं लोबान अगरबत्ती सुलगाते है और वहां मुरादे मांगते हैं यह सब खिलाफ से शरअ और गलत बातें हैं जो बर बिनाए जहालत आवाम में राइस हो गई है इन को दूर करना निहायत जरूरी है 

हक यह है कि ताको महराबों, दरख़्तों वगैरा पर महबूबा ने खुदा का कियाम करार देकर वहां हाजिरी नियाज फातिहा अगरबत्ती मोमबत्ती जलाना हार फूल डालना खुशबूयें मलना चुमना चाटना हरगिज जाइज नहीं 

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आला हजरत फरमाते हैं यह सब वाहियात व खुराफात और जाहिलाना हिमाकात व बतलात है इनका ईजाला लाज़िम है

रात में दरख्तों से फल या फूल तोड़ना कैसा

 
सवाल : अवाम में मशहूर है कि रात में दरख़्त सो जाते है , फल या फूल नहीं तोड़ना चाहिए ?

जवाब : यह बे असल बात है जो अवाम के गलत औहाम व खयालात से है, दरख़्त सोते जागते नहीं बल्कि वह अपने हाल पर तस्बीह पढ़ते और सजदा करते हैं , यही वजह है कि क़ब्रिस्तान से हरी घास और पौधे उखाड़ना मना है

 *📚गलतफहमी और उनकी इस्लाह सफा 147📚* 
 *📚फतावा मरकज़ तरतीब इफ्ता जिल्द दोम सफा 613📚* 
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