मौत की याद

🔰■☞ अगर कोई शख़्स दुन्यवी मालो दौलत में मगन हो कर इस के छूट जाने की वज्ह से मौत को याद करता है जिस की वज्ह से वोह मौत की मज़म्मत में मश्गूल हो जाता है और इस तरह मौत को याद करना उसे अल्लाह عَزَّوَجَلَّ से मजीद दूर कर देता है तो येह तजकिरए मौत नाजाइज़ और ममनूअ है। अलबत्ता अगर वोह इस लिये मौत को याद करता है ताकि दुन्यवी ने'मतों में उस की दिल चस्पी न रहे और लज्जतें बद मजा हो जाएं तो येह तजकिरए मौत शरअन मज़मूम नहीं बल्कि बाइसे अज्रो सवाब है।

╭┈► अगर कोई शख़्स मौत को इस लिये याद करता है ताकि दिल में खौफे खुदा पैदा हो और यूं उसे सच्ची तौबा नसीब हो जाए तो येह तजकिरए मौत शरअन जाइज़ और बाइसे अज्रो सवाब है और अगर येह शख़्स मौत को इस ख़ौफ़ की वज्ह से ना पसन्द करता है कि कहीं सच्ची तौबा से पहले या सामाने आखिरत की तय्यारी से पहले मौत न आ जाए तो ऐसा करना काबिले गिरिफ़्त नहीं।

मौत की याद


╭┈► अगर कोई शख़्स मौत को इस लिये याद करता है क्यूंकि मौत अपने महबूब रब عَزَّوَجَلَّ से मुलाक़ात का वादा है और महब्बत करने वाला महबूब से मिलने का वादा कभी नहीं भूलता और आम तौर पर येही होता है कि मौत देर से आती है लिहाजा येह शख़्स मौत की आमद को पसन्द करता है ताकि ना फरमानी के इस घर से जान छूटे और कुर्बे इलाही के मर्तबे पर फ़ाइज़ हो सके तो येह तजकिरए मौत भी जाइज़ ,शरअन महमूद या'नी काबिले तारीफ़ और बाइसे अज्रो सवाब है।
(इहयाउल उलूम,5/475 मुलख्वसन)

मौत की याद


╭┈► अगर अहकामे शरइय्या के मुवाफ़िक ज़िन्दगी गुजारने वाला ,फराइजो वाजिबात व सुनन का पाबन्द कोई शख़्स इस लिये मौत को याद करता और इस की तमन्ना करता है कि मौत के वक़्त या कब्र में मीठे मीठे आका ,मक्की मदनी मुस्तफ़ा ﷺ की ज़ियारत नसीब होगी तो येह तजकिरए मौत भी शरअन महमूद यानी काबिले तारीफ़ और बाइसे अज्रो सवाब है।


*नबी के आशिकों को मौत तो अनमोल तोहफा है*
*कि उन को कब्र में दीदारे शाहे अम्बिया होगा है*
*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह 90-91 📚*
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              * ★ दुआ ★
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَمِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ

*⚘तर्जुमा⚘* ❁☞ या अल्लाह अज़्ज़वज़ल मैं तेरी पनाह मांगता हूं क़ब्र के अज़ाब से जहन्नुम के अज़ाब से मौत और ज़िन्दगी के हयात से और मसीह दज्जाल के फ़ितनों से!
*📗 सुनन इब्न माजा जिल्द 1, 909 - सहीह*

⚘🤲 हम यहां जो कुछ भी सीख रहे हैं अल्लाह तआला सबसे पहले मुझे और तमाम तालिब ए इल्म को उस पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए

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