जूते चप्पल पर खड़े हो कर जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का मअसला

⇩  शरीयत का हुक़्म हमारी इस्लाह  ⇩ 

•••➲  जनाज़े की नमाज़ आम तौर पर खाली पडे रास्तों और खेतों मैदानों वगैरा में पढ़ी जातीहै। कुछ लोग इन ज़मीनों को नापाक ख्याल करते हुये जूते चप्पल उतार उन पर खड़े हो कर नमाज़ अदा कर लेते हैं तो ऐसा करना जाइज़ बल्कि बेहतर है और नमाज़ दुरूस्त हो जायेगी किसी चीज़ मिटटी,कपड़े,बदन ज़मीन वगैरा के पाक और नापाक होने की तीन सूरतें हैं।

•••➲  1 - यकीन से पता है कि वह पाक है।

•••➲  2 - यकीन से पता है कि वह नापाक है।

•••➲  3 - इस के पाक और नापाक होने में शक है। पता नहीं कि पाक है या नापाक है।

•••➲  पहली सूरत में तो वह पाक है ही लेकिन तीसरी सूरत में भी जब कि उसके पाक और नापाक होने में शक हो तब भी इस को पाक माना जायेगा नापाक नहीं, नापाक तभी कहेंगे जब नापाकी का यकीन हो या गालिबे गुमान।

•••➲  कोई भी ज़मीन जब तक इस के नापाक होने का पता न हो वह पाक कहलायेगी आप इस पर खड़े हो कर बगैर कुछ बिछाये भी नमाज़ पढ़ सकते हैं।


जूते चप्पल पर खड़े हो कर जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का मअसला


•••➲  जूते का तला भी जब खूब पता हो कि इस पर कोई नापाक चीज़ लगी है तभी उस को नापाक कहा जायेगा। सिर्फ शक व शुब्ह की बिना पर नापाक नहीं कहा जा।सकता जूते के तला पाक हो सकता है!

•••➲  उलमा-ए-किराम ने फरमाया कि जूते की तले पर अगर कोई नापाक चीज़ लगी भी हो, उस को पहन कर चला। घास या मिटटी पर कुछ देर चलने से जो रगढ़ पैदा हुई उस से भी जूते का तला पाक हो सकता है। अब इस सिलसिले में मसाइल की तफ़सील हस्बे ज़ैल है।

•••➲  ज़मीन अगर नापाक है यानी उस के नापाक होने का यकीन है उस केऊपर नंगे पैर खड़े हो कर बगैर कुछ बिछाये नमाज़ पढ़ी नमाज़ नहीं होगी। ज़मीन अगर पाक है या उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि पाक है या नापाक तो उस पर बगैर कुछ बिछाये नंगे पैर खड़े हो कर नमाज़ पढ़ी जा सकती है।
              *⊆ ↬ बा - हवाला ↫ ⊇*
(गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह - 182)


जूते चप्पल पर खड़े हो कर जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का मअसला

•••➲  ज़मीन नापाक है लेकिन जूते पहन कर नमाज़ पढी और जूते का तला पाक है नमाज़ सही हो जायेगी। ज़मीन भी नापाक है जूते का तला भी नापाक है। लेकिन जूते उतार कर उन पर खड़े हो कर नमाज़ पढ़ी नमाज़ हो जायेगी क्योंकि अब उस नापाकी का बदन जिस्म से कोई तअल्लुक नहीं और अगर पहने हो तो वह नापाकी जिस्म का हिस्सा मानी जायेगी।

•••➲  खुलासा यह है कि ज्यादा एहतियात उसी में है कि जूते उतार कर उन पर खड़े हो कर नमाज अदा करे यह सब से बेहतर और मुहतात तरीका है। आला हज़रत फरमाते हैं : अगर वह जगह पेशाब वगैरा से नापाक थी या जिस के जूतों के तले नापाक थे और उस हालत में जूता पहने हुये नमाज़ पढ़ी उन की नमाज़ न हई। एहतियात यही है।

•••➲  कि जूता उतार कर उस पर पाव रख कर नमाज़ पढ़ी जाये। कि ज़मीन या तला अगर नापाक हो तो नमाज़ में खलल न आये।

📗 फतावा रज़विया जदीद 9/188

•••➲  और एक मकाम पर लिखते हैं : अगर कोई शख्स बहालते नमाज निजासत पर खड़ा हुआ और उसके दोनों पैरों में जूते या जुराबे हैं तो उसकी नमाज़ सही न होगी और अगर यह चीज़ें जुदा है तो हो जाएगी।

📕 फ़तावा रज़विया जदीद 962

•••➲  एक जगह लिखते हैं :- शुबह से कोई चीज़ नापाक नहीं होती कि असल तहारत है।
(फतावा रज़विया जदीद ज़िल्द 4, सफ़ह 394)

 हिजड़े की नमाज़े जनाज़ा ?


•••➲  कुछ लोग हिजड़े की नमाज़े जनाज़ा पढ़ने न पढ़ने के बारे शक करते हैं कि पढ़ना जाइज़ है या नहीं तो मसअला यह है कि हिजड़ा अगर मुसलमान है तो उस की नमाज़े जनाज़ा पढी जायेगी और उस को मुसलमानों के कब्ररिस्तान में दफ़न किया जायेगा। कुछ लोग पूछते हैं।

•••➲  कि हिजड़े की नमाज़ की नियत और उस में जो दुआ पढ़ी जायेगी वह मरदों वाली हो या औरतों वाली शायद उन लोगों को यह मालूम नहीं कि मरदों और औरतों की नमाज़े जनाज़ा और उस की नियत में कोई फर्क नहीं दोनों का तरीका एक ही है और वहीं तरीका हिजड़े के लिए भी रहेगा। हाँ नाबालिग बच्चे और बच्ची की दुआ में फर्क है और वह बहुत मामूली ज़मीरों का फर्क है तो अगर हिजड़ा नाबालिग बच्चा हो तो उस के लिए लड़के वाली दुआ पढ़ दें या लड़की वाली हर तरह नमाज दुरूस्त हो जायेगी।

📘 फतावा रज़विया जदीद ज़िल्द 9 ,सफ़ह 74*
📔 फतावा बहरुल उलूम ज़िल्द 5 ,सफ़ह 174
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(गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह - 184)

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