क्या बुराई और भलाई का तअल्लुक सितारों से भी है

क्या बुराई और भलाई का तअल्लुक सितारों से भी है
शरीयत का हुक़्म हमारी इस्लाह
•••➲  कुछ लोग समझते हैं कि बुराई भलाई और नफा नुकसान का तअल्लुक सितारों से है हालाँकि ऐसा कुछ नहीं है।

क्या बुराई और भलाई का तअल्लुक सितारों से भी है


•••➲ मुसलमान मुतीअ पर कोई चीज़ नहस (मनहूस) नहीं और काफिरों के लिए कुछ सअद (भलाई) नहीं। बाकी कवाकिब (सितारों) में कोई सआदत व नहूसत नहीं अगर उनको खुद मुअस्सिर जाने मुश्रिक (काफिर) है और उनसे मदद माँगे तो हराम है और उनकी रिआयत जरूर ख़िलाफे तवक्कुल है।
(फतावा रज़विया, जिल्द 10, किस्त 2 ,सफा 265)
              *⊆ ↬ बा - हवाला ↫ ⊇*
(गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह - 170)

•••➲  बाज़ नुकूश व तावीजात के बारे में सितारों का हिसाब लगा कर कुछ औकात को खास किया जाता है तो उसके बारे में मुसलमान को यह अक़ीदा खना चाहिए कि खुदाए तआला ने बाज़ औकात को बाज़ कामों के लिए बाज़ दूसरे औकात के मुकाबले में पसन्द फरमाया है और किसी साअत और घड़ी को किसी दूसरे से किसी खास काम के लिए अफ़ज़ल व बेहतर बनाया है। 

लेकिन मनहूस किसी वक़्त को नहीं समझना चाहिए और होता वही है जो अल्लाह तआला चाहता है और खुदाए तआला व रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम  पर ईमान और उनकी इताअत से बढ़कर कोई सआदत व बरकत, नफा और भलाई नहीं और उनकी नाफरमानी और कुफ़ से बढकर कोई नहूसत नहीं और ऐसे ही बाज़ कामों के लिए बाज़ दिनों की फजीलत आई है 

जैसे सफर के लिए जुमेरात या पीर का दिन और नाखुन तरशवाने और बाल कटवाने के लिए जुमे का दिन। इसका मतलब यह नहीं कि और दिन मनहूस हैं या उनमें वह काम नाजाइज़ व गुनाह है बल्कि किसी दिन भी सफ़र करना और किसी दिन नाखून और बाल कटवाना नाजाइज़ व गुनाह नहीं है, हर दिन जाइज़ है। हाँ मखसूस और वो दिन जो ऊपर जिक्र हुए उनमें ये काम दूसरे दिनों से ज्यादा बेहतर व अफज़ल व पसन्दीदा हैं।


क्या बुराई और भलाई का तअल्लुक सितारों से भी है


•••➲  बाज़ जगह औरतें बुध के दिन घर से निकलने और सफ़र करने को मना करती हैं। यह उनकी जहालत है। बुध के दिन की तो खास तौर पर हदीस में फजीलत आई है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद है :- "जो काम बुध के दिन शुरू किया जाता है, पूरा होता है।" यह हदीस आलाहज़रत इमामे अहले सुन्नत ने फतावा रज़विया जिल्द 12 सफा 160 पर नकल फ़रमाई है।

•••➲  सदरुश्शरी हज़रत मौलाना अमजद अली साहब अलैहिर्रहमह फ़रमाते हैं :- नजूम की इस किस्म की बातें जिनमें सितारों की तासीरात बताई जाती हैं कि फलाँ सितारा तुलू होगा तो फलॉ बात होगी, यह भी बेशरअ है। इसी तरह नक्षत्रों का हिसाब कि फलाँ नक्षत्र से बारिश होगी, यह भी गलत है। हदीस में इस पर सख्ती से इन्कार फरमाया है।
(बहारे शरीअत ,हिस्सा 16 सफा 257)

•••➲  बहुत से लोग मंगल के दिन कोई नया काम शुरू करने को बुरा जानते हैं और औरतें इस दिन नहाने को बुरा जानती हैं,ये सब भी उनकी गैर इस्लामी और जाहिलाना बातें हैं।

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