यह फैशन है या पागल पन..?

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

ईद के दिन ख़ुदाये तआला दे तो अच्छे उम्दा साफ सुथरे या नये कपड़े पहनना मुस्तहब है लेकिन मौजूदा दौर के फैशनेबिल कपड़ों से बचना ज़रूरी है अफ़सोस की बात है कि ईद एक ख़ालिस इस्लामी त्यौहार है लेकिन इसके लिये भी आज के नौजवान लड़के लड़कियाँ ऐसे फैशनेबिल कपड़े बनाते हैं कि जिनसे बेहयाई और बेशर्मी का इज़हार होता है 

यह फैशन है या पागल पन..?


पता नहीं इस मुसलमान को क्या हो गया है कि यह अब मज़हब को भी अपने दुनियवी शौक पूरे करने के लिये इस्तेमाल कर रहा है।

और आज का फैशन पागलपन से ज़्यादा नहीं। अज़ीब अज़ीब तरह के कपड़े पहने जाते हैं न जाने कैसी कैसी पैन्टें शर्ट और बनियाने चल पड़ी है पैन्टो का तो यह हाल है कि कोई हिसाब समझ में नहीं आता कहीं ढीली कहीं टाइट इनमें बेतुकी अजीब अजीब तरह की जेबें कभी कहीं और कभी कहीं लगाई जाती हैं नीची इतनी कि सड़क पर ख़ूब झाडू लग रही है कहीं पेवन्द से लटक रहे हैं 
बाज़ पैन्टों को देखकर लगता है कि वह फट गई है जगह जगह टुकड़े निवाले और पेवन्द लगाकर जुगाड़बाज़ी कर ली गई है मगर फैशन के नाम पर सब हज़म है कितना ही बुरा बेढंगा कपड़ा है लेकिन अगर फैशन मे आ गया तो सब सही है।

👉🏻मैंने देखा है कि दुनियादार यहाँ तक कि ग़ैर मुस्लिमों में भी जो ज़िम्मेदार क़िस्म के लोग होते हैं आला अफ़सरान या पूंजीपति लोग पैन्ट शर्टें भी पहनते हैं लेकिन वह ज़रा ढंग की होती हैं बेतुकी नीची न बेढंगी न बहुत टाइट न फुन्दने लटकती न घुटनों में जेबों वाली इससे ज़ाहिर हुआ कि फैशन एक हल्कापन है और अपने ग़ैर ज़िम्मेदार होने का इज़हार और ज़्यादा फ़ैशन में रंगे हुये स्मार्ट लड़कियाँ और लड़के अपनी वैल्यू गिराते हैं और लोगों की नज़र में हलके होते हैं यह पागलपन नहीं तो और क्या है। 
कि दीन के भी खिलाफ़ और दुनिया में भी कोई वैल्यू नहीं लुच्चे, लफंगे, हल्के और गैरज़िम्मेदार कहलाये जा रहे हैं।

यह फैशन है या पागल पन..?


और लड़कियों औरतों में जो फ़ैशन चल रहा है उसका मतलब तो सिर्फ़ यह है कि जो जितनी ज़्यादा नंगी कम से कम कपड़े में सबके सामने आ जाये वह ज़्यादा स्मार्ट और फैशने बिल है। 

हुकूमत के ज़िम्मेदार लोग भी बेवकूफी का शिकार हैं गुन्डागर्दी छेड़खानी रोकने के लिये अभियान चला रहे हैं लेकिन फ़ैशनेबिल लड़कियों को अपने जिस्मों की नुमाइश करते हुये सड़कों बाज़ारों में घूमने फिरने पर कोई पाबन्दी नहीं लगा रहे हैं यह गुन्डागर्दी और औरतों से छेड़खानी कभी नहीं रोक पायेगें इन्हें चाहिये कि यह कानून भी बनायें कि कोई लड़की घर से बेसख्त ज़रूरत न निकले और निकले तो ज़रा संभल कर और फ़ैशन में रंगी हुई और अपने जिस्म की नुमाइश करती हुई न निकले।

मैं पूछता हूँ आखिर नंगे जिस्म लेकर घरों से निकलने और घूमने का मतलब क्या है यही न कि दुनिया के सब लोग हमें देखें और हमारे जिस्म का कोई हिस्सा किसी से छिपान रह जाये तो आप जब ख़ुद ही दावते नज़ारा दे रही हैं तो सिर्फ़ मनचलों के खिलाफ़ कानून साज़ी से क्या होगा यह अज़ीब बात है कि पेट्रोल के टेंक में चिराग और मोमबत्तियाँ जलाई जायें और फिर आग लगने से रोकने के लियें कानून बनाये जायें।
*📓रमज़ान का तोहफ़ा सफ़हा 39*

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*


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