सूरज का ठहरना या लोटना कितनी मरतबा हुआ?

सूरज का ठहरना या लोटना कितनी मरतबा हुआ?

यानी अल्लाह ने अपने नबियो की दुआ से कितनी मर्तबा सूरज को ठहराया या लौटाया



सात बार हुआ चार मर्तबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम के लिये और तीन बार दूसरे नबियों के लिये।

(1) हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के लिये जब आप जिहाद के लिये
घोड़ों का मुआयना फरमा रहे थे कि सूरज गुरुब हो गया और असर की नमाज़ कजा हो गई तो आपने दुआ की तो सूरज लोट आया फिर आपने असर की नमाज़ अदा की

(2) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के लिये जब अल्लाह तबारक व तआला ने
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से बनी इसाईंल को साथ लेकर
चलने का हुक्म दिया तो यह भी फ़रमाया था कि हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का ताबूत साथ लेते जाना। इधर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इसराईल से कह दिया कि फ़ज़्र के वक्त निकलेंगे और ताबूत के तलाश करने में लग गऐ यहाँ तक कि
सूरज तुलू होने के करीब हो गया लेकिन ताबूत का पता न
चला तो आपने खुदा की बारगाह में दुआ की ऐ अल्लाह तुलू। आफताब को मुअख्खर फरमादे, इसलिये सूरज आपके लिये । ठहरा रहा यहाँ तक कि ताबूत हासिल हो गया।

(3) हज़रत यूशा बिन नून के लिये जब आप बेतुल मुकद्दस
के महाज़ पर कौमे जब्बारीन से जिहाद फरमा रहे थे जुमे का। दिन था अभी जंग फतह होने में देर थी यहाँ तक कि सूरज दूबने लगा अगला दिन सनीचर का था जिसमें जंग करना । हज़रत मूसा की शरीअत में जाइज़ न था आपने दुआ फरमाई
और सूरज आपकी दुआ से ठहर गया जब जंग फतह हो गई।
और ज़ालिमों को हार हुई तो गुरुब हो गया।
(4) जंगै खन्दक के मोके पर हुजूर सल्लल्लाहु अलेहि वसल्लम
के लिये जब आप की असर की नमाज़ कज़ा हो गई।

(5) हज़रत जाबिर रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुजूर सल्लाल्लहु अलैहि वसल्लम ने एक बार सूरज को हुक्म दिया।
तो थोड़ी देर तक ठहरा रहा।

(6) मेराज की रात वापसी में आपने मक्के वालों को खबर दी। थी कि तुम्हारा काफिला जो तिजारत के लिये गया हुआ हे सूरज ।
निकलने से पहले पहुँचने वाला है हुस्ने इत्तेफाक के काफिले।
के पहुंचने में देर हो गई और सूरज निकलने वाला ही था
आपने दुआ फरमाई और सूरज ठहर गया।

(7) मन्ज़िले सहबा पर हज़रत अली के लिये आपके हुक्म से। सूरज लोट आया।
(रुहुल बयान 3 पेज सीरत हलबी ।
11 पेज 422 ता 428, उम्दतुलकारी 7 पेज 146, आलाआप्नु वल उला पेज 103)
हवाला किताब
मखजने मालूमात
सूरज और चांद का बयान

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