*अरब की एक मश्हुर आलीमाह की अपनी बेटी को चंद नसीहतें*
🔹* मेरी प्यारी बेटी तुम अपने शोहर के घर जाकर कनाअत(सब्र) वाली ज़िन्दगी गुज़ारने का ऐहतमाम करना,,
🔹शोहर की खुशी से जो दाल रोटी मील जाए वो उस मुर्ग और पुलाव से बेहतर है जो तुम्हारी ज़ीद पर उसने नाराज़गी से दिया हो,,
🔹*मेरी प्यारी बेटी*अपने शौहर की बात को तवज्जुह से सुनना और उसे अहेमीयत देना, हर हाल में उसकी जाईज़ बातों पर अमल करने की कोशीश करना,
🔹इस तरह तुम उनके दिल में जगह बना लोगी, क्युंके अस्ल आदमी नही आदमी का काम प्यारा होता है
🔹अपनी ज़ीनत और खुबसुरती का ऐसा ख़्याल रखना के जब तेरा शोहर तुझे निगाह भर के देखे तो वो खुश हो जाए,
🔹और उनके लिए सादगी के साथ इस्तिताअत के मुताबीक खुश्बु इस्तेमाल करना ,
🔹और हमेशा ये ख़्याल रहे के तेरे जिस्म और लिबास की कोई बु उसे नफरत ना दिलाए
🔹शोहर की नज़रों मे अच्छी मालुम होने के लिए अपनी आंखो को सुरमे और काजल से खुबसुरती देना,क्युके खुबसुरत आंखें,पुरे वुजुद को देखने वाले शोहर की आंखों में बसा देती हैं,
🔹गुस्ल और वुज़ु का एहतिमाम करना क्युके ये सबसे बेहतर खुश्बु है और लताफत का ज़रीया है,
🔹शोहर का खाना वक्त से पेहले ही तय्यार रखना क्युके देर तक बरदाश्त की जाने वाली भुक भड़कते हुवे शोले की तरह हो जाती है,
🔹और उनके आराम और सोने के वक्त मैं सुकुन का माहोल बनाए रखना,क्युके नींद अघुरी रह जाए तो तबीयत मैं गुस्सा पैदा हो जाता हैं,,
🔹शोहर के घर और उनके माल की नीगरानी करना यानी बगैर उनकी इजाज़त के कोई घर में ना आए।,
🔹उनके माल को लगवीयात -नुमाईश-और फेशन मैं बरबाद मत करना क्युके माल की बेहतर नीगरानी हुस्ने एतज़ाम से होती है,,
🔹 शोहर की राज़दार रहना उनकी नाफरमानी ना करना क्युके उन जेसे बा रोआब की नाफरमानी जलती हुई आग पर तेल का काम करेगी,,और अगर तुम उसका राज़ दुसरों से छुपा कर ना रख सकी तो उसका भरोसा तुम पर से हट जाऐगा-फिर तुम भी उसके दो रुखेपन से मेहफुज़ ना रह सकोगी,,
🔹जब तुम्हारा शोहर किसी बात पर गमगीन हो तो अपनी कीसी खुशी का इज़हार उसके सामने मत करना यानी उसके ग़म में बराबर की शरीक रहना,
🔹अपने शोहर की किसी खुशी के वक्त अपने चेहरे पर ग़म के अस्रात मत लाना और शोहर से उनके किसी रवय्ये की शिकायत मत करना,वरना तुम उनका दिल तोड़ने वाली होगी,,
🔹अगर उनकी नज़रों मे अपनी इज्ज़त बढ़ाना चाहती हो तो उनकी इज्ज़त व एहतिराम का ख़्याल रखना,,
और उनकी मरज़ी के मुताबीक चलना तो हमेशा अपनी ज़िन्दगी के हर मरहले में उनको अपना रफीक पाओगी,,
*🔹मेरी प्यारी बेटी*मेरी इस नसीहत को पल्लु से बांघ लो और उसपर गीरेह(गांठ) लगा लो,के जब तक तुम उनकी खुशी और मरज़ी की ख़ातीर कंई बार अपना दिल नही मारोगी,और जब तक उनकी बात उंची रखने के लिए अपने दिल में उठने वाली ख्वाहीशों को दफन नही करोगी उस वक्त तक तुम्हारी ज़ीन्दगी मैं भी खुशीयों के फुल नहीं खीलेंगें,,
*दोस्तो ये थी एक मां की बेटी को नसीहतें आप भी अपनी बहेन बेटी बीवी और हर मुस्लीमा लड़की तक इन नसीहतों को पहुचाने की कोशीश करे।
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मेरी बेटीयो
*जब तुम अपनी आँखें झुका कर चलोगी तो तेरे वालिद सर उठा कर चलेगे
Allah Amal ki Toufeeq Ataa Farmaye Aameen
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